प्रस्तावना
प्रेमावतार लीला पुरूषोतम भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली मॉट, मथुरा से २७ किलोमीटर तथा वृन्दावन से ६ किलोमीटर दूर यमुना नदी के किनारे राया-नौहझील तथा मथुरा-वृन्दावन नौहझील मार्ग पर स्थित है। मॉट मथुरा जनपद की एक तहसील है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोपियों से बलपूर्वक माखन छीनकर खाने तथा दही की मटकियॉ फोडे जाने के आधार पर ही इस स्थान को मॉट कहते है। मॉट क्षेत्र अंग्रेजी शासन काल से लेकर स्वातंत्रयोत्तर काल में भी शिक्षा, विशेष रूप से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक पिछड़ा रहा है। मॉट विधान सभा क्षेत्र के विधायक एवं तत्वकालीन उच्च शिक्षा मंत्री माननीय श्री श्यामसुन्दर शर्मा के प्रयासों से मॉट में राजकीय महाविद्यालय की स्थापना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गयी। महाविद्यालय हेतु ४.०५५ हेक्टेयर भूमि ग्राम सभा मॉट राजा द्वारा उपलब्ध करायी गयी। इसी भूमि पर शासन से प्राप्त रू० ८८.२१ लाख रूपये के अनुदान से महाविद्यालय भवन का निर्माण कराया गया है। महाविद्यालय मॉट-वृन्दावन रोड़ पर स्थित है।
महामहिम कुलधिपति के सचिवालय के पत्रांक ई०से०/२४५९/जी०एस० दिनांक १६.०९.२००३ द्वारा स्थापना के समय राजकीय महाविद्यालय, मॉट में स्नातक स्तर पर बी.ए. की कक्षाओं का संचालन किया गया तथा वर्तमान में महाविद्यालय एसा बी.ए., बी.एस.सी., बी.कॉम. तथा एम.ए. की कक्षायें संचालित हो रही है | महाविद्यालय डॉ० भीमराव अम्बेडकर विशवविद्यालय, आगरा से सम्बद्ध है।उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश संख्या १९५८/सत्तर-५-२००३-०४-२००३ लखनऊ, दिनांक २६.अग्रस्त २००३ द्वारा राजकीय महावविद्यालय का नाम ''लोकमणि शर्मा स्वतंत्रता संग्राम सैनानी राजकीय महाविद्यालय, मॉट (मथुरा) कर दिया गया है।